जय श्री सच्चिदानंद जी
संत वाणी - 172
यह हम सभी जानते हैं कि खरे सोने की कीमत बहुत होती है, पर मिलावटी सोने की कीमत घट जाती है। जितनी मात्रा में मिलावट होती है, उसकी कीमत उतनी ही मात्रा में घटती चली जाती है। मिलावट वह कारण है, जिसकी वजह से शुद्ध धातु की कीमत कम हो जाती है। सोने से बने हुए गहने व ज़ेवरात मैं तो थोडी मिलावट होती है, ताकि गहने मजबूत, टिकाऊ व सुंदर आकार में ढालें जा सकेँ, पर वे भी कीमती होते हैं। खरे सोने के छोटे से टुकड़े को भी लोग संभालकर तिजोरी में रखते हैं कि कहीं वह खो न जाये या वह किसी दुसरे के हाथ में न पड़ जाए। ठीक इसी तरह यदि मनुष्य का जीवन, उसका व्यक्तित्व खरा हो जाएं तो उसकी कीमत अधिक ही नही, बल्कि अमूल्य हो जाती है।
मनुष्य के व्यक्तित्व में गुण व अवगुणों की मिलावट के कारण उसके जीवन की कीमत स्वयं उसकी नज़रों में न के बराबर हो जाती है। चित में जमे हुए जन्म-जन्मांतरों के कुसंस्कारों के करण व्यक्ति की अंतश्चेतना पर आवरणों की परत चढ़ती चली जाती है और उसके जीवन की खूबसूरती उन आवरणों में दबती चलीं जाती है, फ़िर जीवण की खुबसूरती व प्रकाश दिखायी नहीं देता और न उसका अनुभव होता है, केवल बाहरी आवरण ही दिखाई पड़ते हैं।
जय श्री सच्चिदानंद जी
Shri Nangli Sahib Darbar (Bhajan and Satsang) - Sant Vaani - 172
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