जय श्री सच्चिदानंद जी
एक बार एक मन्दिर मे भगवान के गले मे पडी माला को देख कर, भगवान के चरणों मे पड़े फूलों ने माला के फूलो से पूछा, कि हम तो भगवान के चरणो मे पडे रहते है और आप भगवान के गले के हार क्यो हो जबकि हम सभी एक तरह के पौधे की उत्पति है |
माला के फूलो ने बडा ही सुन्दर जबाब दिया कि हम हे तो उसी पौधे की उत्पति जिससे आपकी हुई है,पर हमे सुई की चुभन को सहा है और राम नाम रूपी धागा अपने अन्दर धारण किया है ,और अपने से आगे आने वालो को आने की जगह देते हुए पीछे हट रहे तो ही हम माला के रूप में भगवान के गले का हार बन पाये है। और आपने उस चुभन को सहन नही कर पाये तो आप भगवान के चरणो मे हों।
आपको भाव से समझने का प्रयास भर है कि हम सभी हैं तो उसी परम पिता परेश्वर की सन्तान, उसी की बगिया के फूल अब फैसला भी आप पर है कि आप कहां रहना पसन्द करेंगे।
जय श्री सच्चिदानंद जी
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