जब देहधारी जीव को किसी घातक हथियार से आघात पहुचाया जाता है तो यह समझ लेना चाहिए कि शरीर के भीतर जो जीवात्मा हैं वो नहीं मरी। आत्मा इतनी सूक्ष्म होती है कि इसे किसी तरह के भौतिक हथियार से मार पाना असंभव है। न ही जीवात्मा अपने आध्यात्मिक स्वरुप के कारण वध्य है। जिसे मारा जाता है या मरा हुआ समझ लिया जाता है। वह केवल शरीर है।
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