जैसी सोच, वैसी ही गतिविधियां
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वृद्घ व्यक्ति ने अपने गाँव में नये व्यक्ति देखा।
जिज्ञासावश पूछा: आप श्रीमान कौन?
व्यक्ति - मैं आपके गाँव के स्कूल में टीचर हूँ।
वृद्घ - आपके परिवार में कौन-कौन हैं?
व्यक्ति - मैं हूँ, मेरी पत्नी है, मेरे दो बच्चे हैं और बूढी माँ है, उसको भी हमने अपने पास ही रख लिया है।
कुछ समय पश्चात् फिर नया एक व्यक्ति गाँव में दिखाई दिया।
वृद्घ ने उससे भी पूछा: आप श्रीमान कौन हैं?
दूसरा व्यक्ति - मैं आपके गाँव में पोस्ट ऑफिस में नया कर्मचारी हूँ।
वृद्घ - आपके परिवार में कौन-कौन है?
दूसरा व्यक्ति - मैं हूँ, मेरी पत्नी है, दो बच्चे हैं। हम सभी अपनी माँ के पास रहते हैं।
एक परिस्थिति - दो मन:स्थिति। हमें सोचना है कि हमने अपने मां-बाप को अपने पास रखा है या हम अपने मां-बाप के साथ रहते हैं।
जिज्ञासावश पूछा: आप श्रीमान कौन?
व्यक्ति - मैं आपके गाँव के स्कूल में टीचर हूँ।
वृद्घ - आपके परिवार में कौन-कौन हैं?
व्यक्ति - मैं हूँ, मेरी पत्नी है, मेरे दो बच्चे हैं और बूढी माँ है, उसको भी हमने अपने पास ही रख लिया है।
कुछ समय पश्चात् फिर नया एक व्यक्ति गाँव में दिखाई दिया।
वृद्घ ने उससे भी पूछा: आप श्रीमान कौन हैं?
दूसरा व्यक्ति - मैं आपके गाँव में पोस्ट ऑफिस में नया कर्मचारी हूँ।
वृद्घ - आपके परिवार में कौन-कौन है?
दूसरा व्यक्ति - मैं हूँ, मेरी पत्नी है, दो बच्चे हैं। हम सभी अपनी माँ के पास रहते हैं।
एक परिस्थिति - दो मन:स्थिति। हमें सोचना है कि हमने अपने मां-बाप को अपने पास रखा है या हम अपने मां-बाप के साथ रहते हैं।
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